चीन को सख्त संदेश देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर भारत को किसी ने नुकसान पहुंचाया तो वह भी बख्शेगा नहीं. इसके साथ ही उन्होंने जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक शक्तिशाली देश के तौर पर उभरा है और दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की ओर अग्रसर है. सिंह ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय-अमेरिकी समुदाय को संबोधित करते हुए अमेरिका को एक सूक्ष्म संदेश भी दिया कि भारत “जीरो-सम गेम’’ की कूटनीति में विश्वास नहीं करता और किसी एक देश के साथ उसके संबंध दूसरे देश की कीमत पर नहीं हो सकते. ‘जीरो-सम गेम’ उस स्थिति को कहा जाता है जिसमें एक पक्ष को हुए नुकसान के बराबर दूसरे पक्ष को लाभ होता है. रक्षामंत्री भारत और अमेरिका के बीच वाशिंगटन डीसी में आयोजित ‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता में भाग लेने के लिए यहां आए थे. इसके बाद, उन्होंने हवाई और फिर सैन फ्रांसिस्को की यात्रा की.
सिंह ने बृहस्पतिवार को सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा उनके सम्मान में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए चीन के साथ सीमा पर भारतीय सैनिकों द्वारा दिखाई गई वीरता का जिक्र किया. रक्षा मंत्री ने कहा, ‘मैं खुले तौर पर यह नहीं कह सकता कि उन्होंने (भारतीय सैनिकों ने) क्या किया और हमने (सरकार ने) क्या फैसले लिए. लेकिन मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि (चीन को) एक संदेश गया है कि भारत को अगर कोई छेड़ेगा तो भारत छोड़ेगा नहीं.”
पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच सीमा गतिरोध शुरू हो गया था. 15 जून, 2020 को गलवान घाटी में हुयी झड़पों के बाद गतिरोध और बढ़ गया. इन झड़पों में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. हालांकि चीन ने इस संबंध में कोई आधिकारिक ब्यौरा नहीं दिया. यूक्रेन युद्ध के कारण रूस के संबंध में अमेरिकी दबाव का कोई सीधा संदर्भ दिए बिना सिंह ने कहा कि भारत “जीरो-सम गेम’ कूटनीति में विश्वास नहीं करता है. उन्होंने कहा कि अगर भारत के किसी एक देश के साथ अच्छे संबंध हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि किसी अन्य देश के साथ उसके संबंध खराब हो जाएंगे.
उन्होंने कहा, “भारत ने कभी भी इस तरह की कूटनीति नहीं अपनाई है. भारत कभी भी इसे (इस तरह की कूटनीति) नहीं अपनाएगा. हम अंतरराष्ट्रीय संबंधों में ‘जीरो-सम गेम’ में विश्वास नहीं करते हैं.” सिंह ने कहा कि भारत ऐसे द्विपक्षीय संबंध बनाने में विश्वास करता है जिससे दोनों देशों को समान रूप से फायदा हो. उनकी टिप्पणी यूक्रेन संकट पर भारत की स्थिति और रियायती दर पर रूसी तेल खरीदने के फैसले पर अमेरिका में कुछ बेचैनी के बीच आई. उन्होंने कहा, “भारत की छवि बदल गई है. भारत का सम्मान बढ़ा है. अगले कुछ वर्षों में दुनिया की कोई भी ताकत भारत को दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्था में से एक बनने से नहीं रोक सकती.’’
भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि अतीत में, दुनिया का कोई भी देश विकसित और समृद्ध होना चाहता था, तो वे हमेशा भारत के साथ जीवंत व्यापार स्थापित करने के बारे में सोचते थे. उन्होंने कहा, “हमें 2047 में अपना 100वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के समय तक भारत में एक समान पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए.” रक्षा मंत्री ने कहा कि 2013 में अमेरिका की अपनी पिछली यात्रा के दौरान, न्यू जर्सी में एक स्वागत समारोह में उन्होंने भारतीय-अमेरिकियों के एक समूह से कहा था, “भारत की सफलता की कहानी खत्म नहीं हुई है, यह भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने का इंतजार कर रही थी. उस समय तत्कालीन कांग्रेस सरकार के प्रदर्शन से लोग निराश थे.”
उन्होंने कहा कि आठ वर्षों में नरेंद्र मोदी सरकार ने देश को “बदल दिया” और भारत की छवि हमेशा के लिए बदल गई है. उन्होंने कहा, “(वैश्विक स्तर पर) लोगों ने महसूस किया है कि भारत अब एक कमजोर देश नहीं है. यह विश्व का एक शक्तिशाली देश है. आज भारत में दुनिया का नेतृत्व करने की क्षमता है. भारत की यह इस क्षमता को अब दुनिया ने महसूस किया है.’’ सिंह ने कहा, “भारत में ऐसे कई प्रधानमंत्री रहे हैं जो इस पद पर आसीन होने के बाद देश के नेता बने. लेकिन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की तरह, अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले ही देश के नेता थे.’’ उन्होंने कहा कि आज एक नया और आत्मविश्वास से भरा भारत है तथा भारत एक आत्मनिर्भर देश बनने की ओर अग्रसर है और मोदी सरकार इस संबंध में रक्षा सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है.